अगर दिल महोब्बत में…………….. नही होता |गीत| “मनोज कुमार”
अगर दिल महोब्बत में डूबा ना होता
रोता ना दिल दिलबर झूठा ना होता
करता ना भूल ना जुदा तुमसे होता
ना थे नसीब में एतबार नही होता
अगर दिल महोब्बत में………………………… नही होता
लाख जतन कर तुमको तो पाया था
कर गये दुखी ख़ुशी तुमपे लुटाया था
आत्मा का हिस्सा थे ये समझा होता
जाओगे भटक ये विश्वास नही होता
अगर दिल महोब्बत में………………………… नही होता
कर गये बीमार हमें आशिकी से अपनी
दवा भी नही ना इलाज इसका सजनी
वफ़ा की उम्मीद तोड़ी ऐसा नही होता
उनको ख़ुशी दे रब गिला नही होता
अगर दिल महोब्बत में………………………… नही होता
कह जाते एक बार पीछा नही करना
भूल जाना तुम ऐसी दुआ रब से करना
जाता जमाना गुजर याद नही होता
हमको कसम है मन उदास नही होता
अगर दिल महोब्बत में………………………… नही होता
प्यार की महक दिल से आती ही रहेगी
जहाँ तुम जाओगी करीब मुझे पाओगी
तेरे अब वादों से ये दिल नही पिघलता
जब तक तुझे ना देखूँ दिन नही निकलता
“मनोज कुमार”