अगर दिल दिया था तो अपना बनाते
गज़ल
काफिया- आते
रद़ीफ- गैर मुरद्दफ़
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
122…….122……122…….122
किया प्यार था तो निभा कर दिखाते।
अगर दिल दिया था तो अपना बनाते।
ये है प्यार कोई खिलौना …….नहीं है,
कि इक तोड़ कर दूसरा फिर ले आते।
जो बरबाद खाना हुआ …..शादियों मे,
वही काश तुम मुफ़लिसों को खिलाते।
गये हार तुम इतनी जल्दी …भला क्यों,
ये जीवन तो इक जंग है ….आजमाते।
गरीबों की आहें …….न लेना कभी भी,
मरे पशु भी साँसों से …..लोहा गलाते।
हरेक फूल ने अपनी किस्मत है पाई,
कई शुभ लगन कोई मैयत ….मे जाते।
किया प्रेम सच में उन्हें ……कहते प्रेमी,
वही कृण्ण मीरा ………सुदामा कहाते।
…….✍️ प्रेमी