अगर तेरी तस्वीर बोलती
कितनी बातें बनाती कितने राज खोलती
अगर तेरी तस्वीर तुझसे बोलती..
तुमसे कितनी बातें करता हूं
तेरे चेहरे पर कितना मरता हूं
तुझे याद में कितना करता हूं
राज सारे खोलती हैं गर तेरी तस्वीर बोलती,
कब-कब तेरी आंखों में डूबा
कब लगी मुझे तुम एक अजूबा
देख तुम्हें था क्या मंसूबा
राज सारे ये खोलती घर तेरी तस्वीर बोलती,
रख डायरी में तुम्हें कब शहर में घूमा
लगा गले कब खुशी से झूमा
कब-कब तेरे माथे को चूमा
कड़ियां कितनी ये जोड़ती गर तेरी तस्वीर बोलती,
कब मैंने तेरी नाक मरोड़ी
कब खींचे मैंने तेरे गाल
कब-कब तुमको खूब सुनाया
कब पूछा तुमसे खूब सवाल
कितनी चुगली ये करती गर तेरी तस्वीर बोलती,
किस डर से मैं भयभीत रहा
कभी दूर रहा कभी समीप रहा
वक्त हिजरत का कैसे बीत रहा
कुछ भी न छोड़ती गर तेरी तस्वीर बोलती,
ख्वाबों में कब मुलाकातें की
तुमसे क्या क्या बातें की
क्या तुमने हमें सौगातें दी
सब कुछ ये खोलती है गर तेरी तस्वीर बोलती,
कितना जागा मैं कितना सोया
कितना छुप-छुपकर मैं रोया
कितने टिशु गिलाफ भीगोया
वजन सबका यह तोलती गर तेरी तस्वीर बोलती,
क्या क्या जतन मैं करता हूं
तुम्हें खोने से कितना डरता हूं
कितने सजदे मैं करता हूं
नमी हवा में घोलती गर तेरी तस्वीर बोलती,
#sandeep_albela