अगर तू ना होती !
?अगर तू ना होती !?
???????
मेरी माॅं, अगर तू ना होती ;
मेरा अस्तित्व भी ना होता ;
तुझसे ही तो है वजूद मेरा ;
तेरे बिन हम कुछ भी नहीं ;
माॅं, तू ही तो हो जननी मेरी !
बचपन में मिला तेरा ऑंचल ;
तू करती थी पूरी हर ज़रूरत ;
जब कभी उलझनें आती कुछ ;
तो कहता तुझसे ही मैं सब कुछ ;
तू ही बता, किससे कहता ये सब ;
अगर तू ना होती,अगर तू ना होती !
पढ़ना लिखना भी तुझी से सीखा ;
तुझसे लगाव जो था सबसे ज़्यादा ;
जब पढ़ाई में पिता की डांट पड़ती ;
तुझसे ही अपने दु:ख, दर्द बाॅंटता ;
कौन मेरा ख़्याल रख पाता इतना ;
अगर तू ना होती,अगर तू ना होती !
जीवन के हरेक अहम मोड़ पर ;
कई चीजों का ख़्याल रखा तूने ;
तुझे जो कभी कोई कष्ट दे जाते ;
तो उसे भी तू बाॅंटती साथ ही मेरे ;
शायद तुझे सुकून मिलता इससे ;
सारी हसरतें कौन पूरी करता मेरी ;
अगर तू ना होती,अगर तू ना होती !
जीवन के इतने लंबे से सफ़र में ;
पिता संग सही राह दिखाई तूने ;
तेरे बताए रास्ते पर ही चलकर ;
कितने सारे अरमान पूरे हुए मेरे ;
जो कुछ भी पाया वो है कारण तेरे ;
पर सारी ही ख्वाहिशें रहती अधूरी ;
अगर तू ना होती,अगर तू ना होती !
जीवन में एक कदम ना चल पाता ;
ना ही कोई सितम तनिक सह पाता ;
तूने ही हौसला दिया इससे लड़ने का ;
सहन शक्ति भी दी इससे जूझने का ;
सही मार्ग पे चलके मंज़िल पाने का ;
युक्ति दी जमाने को परख पाने का ;
इन प्रेरणाओं से अछूता ही रह जाता!
अगर तू ना होती ! अगर तू ना होती !!
“स्वरचित एवं मौलिक”।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 09 / 02 / 2022.
“””””””””””””””””””””?”””””””””””””””””””