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15 Jun 2022 · 1 min read

अगर ज़रा भी हो इश्क मुझसे, मुझे नज़र से दिखा भी देना।

ग़ज़ल
काफ़िया- आ स्वर की बंदिश
रद़ीफ- भी देना

12122……….12122……….12122………12122
अगर ज़रा भी हो इश्क मुझसे, मुझे नज़र से दिखा भी देना।
तुम्हारे दिल तक पहुॅंच सकूं मैं, हमारे दिल को पता भी देना।

ये जो मुहब्बत है मेरी जाना, है दिल से दिल का अज़ीज़ रिश्ता,
के दिल की बातें समझ सकें हम, शऊर इतना सिखा भी देना।

चलेंगे सॅंग सॅंग डगर पे दोनों, न चल सके तो यही है वाज़िब,
हो चाहे जितनी कठिन भी मंजिल, जो रास्ते हों दिखा भी देना।

तुम्हारे औ’र मेरे बीच दिलवर, न कोई गुस्ताखी हो समझ लो,
अगर हो जाए खता भी मुझसे,न हिचकिचाना सजा भी देना।

तुम्हारी उल्फत में दर्दे दिल भी, गवारा मुझको सदा रहेगा,
मुझे जो देना हो दर्दे दिल भी, तो दर्दे दिल की दवा भी देना।

मुझे मुहब्बत या देना नफ़रत, मगर सदा ही ये ध्यान रखना,
जो देना नफ़रत की आग मुझको, मुहब्बतों की हवा भी देना

मैं प्रेमी बनकर रहूं तुम्हारा, जहां में जैसे हैं हीर रांझा,
अगर मिलें ख्वाब में भी तुमसे, तो देखकर मुस्कुरा भी देना।

……..✍️ प्रेमी

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