अगर कृष्ण ना होते तो क्या होता ?
अगर कृष्ण ना होते तो क्या होता ?
अधर्म यूँ ही रहता पलता
षड़यंत्रों का भेद ना खुलता
सच लाक्षा गृह में जलता
झूठ राजमहल में पलता
अगर कृष्ण ना होते तो क्या होता ?
न्याय लड़ कर मर जाता
उसको लेकिन न्याय ना मिलता
अन्याय की तरफ से लड़े थे जो धर्मयोद्धा
उनको कभी संज्ञान ना मिलता
अगर कृष्ण ना होते तो क्या होता ?
फिर भीम ना शक्तिशाली होता
दुर्योधन ही विजयशाली होता
शकुनी और कंस का उदाहरण बन कर
आज भी हर मामा सवाली होता
अगर कृष्ण ना होते तो क्या होता ?
मित्रता का उदाहरण ना बनता
मटकी में चावल ना अटकता
चीर बढ़ने की जगह घटता
दुर्योधन कभी पत्ता ना लपेटता
अगर कृष्ण ना होते तो क्या होता ?
ना कर्मों का मिलता फल
ना अधर्मी होते विफल
हर कुटिल चाल तब
एक – एक कर होती सफल
अगर कृष्ण ना होते तो क्या होता ?
ना मिलता पांडवों को राजयोग
ना मिलता कौरवों को कर्मभोग
इतने घृणित अक्षम्य अपराध पर
ना मिलता अश्वथामा को महारोग
अगर कृष्ण ना होते तो क्या होता ?
हर व्यक्ति अपनों का अन्याय सहता
पर मुँह से कभी कुछ ना कहता
यूँ ही सहते – सहते रहते तो
कभी गीता का ज्ञान ना मिलता ।
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 19/10/2019 )