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4 Jan 2021 · 1 min read

अगर करो तुम वादा मुझसे

अगर करो तुम वादा मुझसे

मरुधर में भी फूल खिलादूँ
पर्वत को भी धूल बनादूँ
अगर करो तुम वादा मुझसे
प्राण ! मेरे संग चलने का ।

हँस-हँसकर शूल चुनूँ पथ के
पलकों की नाजुक उँगली से
बणीठणी-सा चित्र उकेरूं
मग पर करुणा कजली से

डगर-डगर की प्यास बुझादूँ
राहों की भी आह मिटादूँ
अगर करो तुम वादा मुझसे
जलद ! मेरे संग गलने का ।

पीप मचलते छालों का मैं
दर्द बसालूँ अंतर्मन में
मोती-माणक तारे जड़ दूँ
सपनों के जर्जर दामन में

हर आँसू की उम्र घटादूँ
मधुर हास को शिखर चढ़ादूँ
अगर करो तुम वादा मुझसे
कमल ! मेरे संग खिलने का ।

अटकी है जो नाव भँवर में
दूँ तट का आलिंगन उसको
खेते तार साँस का टूटे
तो भी कुछ शोक नहीं मुझको

हर भटके को राह दिखा दूँ
रोते मन को जरा हँसा दूँ
अगर करो तुम वादा मुझसे
मीत ! मेरे संग ढलने का ।

नूर नोंच लूँ आगे बढ़कर
अँधियारी काली रातों का
रहन पड़ा जो पूनम कंगन
छुड़ा बढ़ाऊँ सुख हाथों का

हर रजनी की मांग सजादूँ
सुबहों को भी सुधा पिलादूँ
अगर करो तुम वादा मुझसे
दीप ! मेरे संग जलने का ।

फैल रहा जो धुँआ नगर में
पसर गया जो दर्द सफर में
छेद रहा जो कांटा मन को
बैठ गया जो तीर जिगर में

पथ से उनको जरा हटादूँ
दर्दों का भी नाम मिटादूँ
अगर करो तुम वादा मुझसे
शलभ ! मेरे संग जलने का ।
000

अशोक दीप
जयपुर

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 5 Comments · 295 Views

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