अगर उठ गए ये कदम तो चलना भी जरुरी है
अगर उठ गए ये कदम तो चलना भी जरुरी है
फिर नही जानना के मंझिल की कितनी दूरी है
क्या आसाँ क्या मुश्किल ये हौसलों की जंग है
अपने हिस्से का सफर है तय करना मज़बूरी है
© ‘अशांत’ शेखर
08/02/2022
अगर उठ गए ये कदम तो चलना भी जरुरी है
फिर नही जानना के मंझिल की कितनी दूरी है
क्या आसाँ क्या मुश्किल ये हौसलों की जंग है
अपने हिस्से का सफर है तय करना मज़बूरी है
© ‘अशांत’ शेखर
08/02/2022