अखबार की कतरन मेंं खुद को ढूंढता है पागल है
अखबार की कतरन मेंं खुद को ढूंढता है पागल है
कतरा कतरा लिबास तेरा बोलता है पागल है।
बन जरूरत फरेब कर हिस्से में कर शामिल,
देखना फिर कौन सोचता है पागल है।
– मोहित
अखबार की कतरन मेंं खुद को ढूंढता है पागल है
कतरा कतरा लिबास तेरा बोलता है पागल है।
बन जरूरत फरेब कर हिस्से में कर शामिल,
देखना फिर कौन सोचता है पागल है।
– मोहित