अखबार का सफर
अखबार का सफर
मशीनों की गड़गड़ाहट से शोर मचा,
पन्नों पर छपे जाने कितनी ही खबरें,
सबको अपने में समेटे हुए निकला,
मिली जुली सभी खबरों को लेकर
अखबार आया, अखबार आया… I
रात के अंधेरे में सुबह के उजाले से पहले,
निकल पड़ा गाड़ियों में साइकिल पर I
समाज और दुनिया की अनगिनत खबरें लिए,
पहुँच गया हमारे घर के आंगन तक,
दादा जी की आंखें उठते ही अखबार पर टिकती है,
सबसे पहले नजर अखबार पर, उनकी ही तो पड़ती है,
तो शुरू हो गया अखबार पढ़ने का सिलसिला,
अखबार में दादा जी को बहुत कुछ मिला,
सुबह की चाय और ले लिया प्यार भरा प्याला,
दोनों की जुगलबंदी बहुत मजेदार,
चाय की चुस्की के साथ शुरू हुआ अखबार,
चुनाव हैं और जनता को लुभाना है इसलिए,
राजनैतिक खबरों से भरा दिखा अखबार,
राजनैतिक खबरों के बाद ,
जब नजर गई अगले पन्ने पर,
दादा जी ने धार्मिक खबरों को जोर जोर से,
सबको पढ़कर सुनाया,
मिली जुली सभी खबरों को लेकर अखबार आया,
दादा जी के बाद सबने अखबार पलटाया,
खबरों को पढ़कर अखबार ढेरी में रखवाया,
पुराना हुआ अखबार रद्दी को भाया,
अगली सुबह फिर से
मिली जुली सभी खबरों को लेकर अखबार आया I
सोनी गुप्ता