अखण्ड सौहार्द
❤️एक अबोध बालक ❤️
उसने हमारे काटे
हमने उसके काटे
दोनो खूश
सद्स्य मात्र सीमित थे
दोनों ने मिल के बाँटे
सोशल मिडिया की गहराई
कौन को पता कौन जाने
अपनी अपनी डफ़ली
पे थाप दिये और
खुद ही की धुन पे
दिन रात खूब नाचें
कूछ ने दिया प्रलोभन
धन की थी टंकार सुनाई
कुछ झुनझुने से फिरते
सम्मान पत्र को हिलाकर
कोरोना क्या आया
साहित्यिक कुओं से
मेढ़क उछल-उछल
के दिन रात खूब भागे 😁😁