अखंड भारत
भारत माँ के शीश से, हटा पुरातन पीर।
लहर तिरंगा कह रहा,अपना है कश्मीर।।
सपना अखण्ड हिन्द का , अब होगा साकार।
आज राष्ट्र को मिल गया, इक नूतन आकार।।
नामुमकिन मुमकिन हुआ, बदल गया तस्वीर।
एक तिरंगा देश का,कन्या से कश्मीर।।
भारत माँ के शीश पर, सजा सुनहरा ताज।
कन्या से कश्मीर तक,होगा अखंड राज।।
देखो भारत मात की, चमक रहा है भाल।
सीना चौड़ा कर दिया, आज उसी का लाल।।
निज दृढ़ इच्छाशक्ति से, लिखे नया इतिहास।
देख जगत भी दंग है, भागीरथी प्रयास।।
भारत माँ की कोख से, जन्म लिये वो शेर।
रिपु का सीना चीर दे, नहीं लगाते देर।।
धारा अस्थायी हटी,बचे बहुत है काम।
जितना जल्दी हो सके, बने राम का धाम।।
-लक्ष्मी सिंह