अखंड भारत का निर्माण करो…
सब कहते है वीर हो तुम…
छपन इंची छाती है
करके चौड़ी छाती अपनी….
अखंड भारत का निर्माण करो।
भगवा बांध के सर पे….
भारत का नाम करो तुम
जयचन्दो को सबक सिखाओ….
इनको इनकी औकात बताओ।
अपनी चुपी तोड़ो अब…
उठो जागो और दिखला दो
इनको इनकी औकात बतला दो…
भव्य मंदिर का निमार्ण करो तुम
ये कौम नहीं है तुम्हारी..
ये जयचन्दों से भरी हुई है
इनकी चिंता छोड़ो अब…
भव्य मंदिर का निर्माण करो तुम
लेखक – कुंवर नितीश सिंह