अक्सर
जब-जब भी सहलाने निकले
चौंकन्ने हर छाले निकले
जमते पाये खून के आँसू
हम खुद को बहलाने निकले
समय बेचारा रूका मिला था
यादों भरे थे आले निकले
खंजर छाती पर पाया था
जब उनको समझाने निकले
रश्मि लहर
जब-जब भी सहलाने निकले
चौंकन्ने हर छाले निकले
जमते पाये खून के आँसू
हम खुद को बहलाने निकले
समय बेचारा रूका मिला था
यादों भरे थे आले निकले
खंजर छाती पर पाया था
जब उनको समझाने निकले
रश्मि लहर