अक्सर सच्ची प्रेम अधूरी ही ठीक लगती है
प्रेम ! ढाई अक्षर का यह शब्द बहुत कुछ कहता है । प्रेम एक ऐसी अधूरी उपन्यास हैं जो कभी पूरी नही हो सकती , अगर वह पूरी हो गई तो प्रेम नही होगा । प्रेम को करने वाले अधिकांश लोग उसे पाना चाहते हैं ,लेकिन प्रेम को पाना उतना ही कठिन है जितना ईश्वर के दर्शन को ।ईश्वर के भांति ही प्रेम में भी डूबना होता है , और प्रेम बहुत आसान है लेकिन सिंपल नही है ।
खैर प्रेम में पडा इंसान अपने जीवन मे बहुत कुछ सीखता है , क्योकि प्रेम ऐसा ही है जो इंसान को पत्थर से कोमल बनाने का काम करता है , वह इंसान को तमीज सिखाता है , विनम्रता सीखता है , टाइम से टाइम कार्य करने को सीखता है ,एक दूसरे की परवाह करने को सिखाता है , स्वयं के भीतर से हमेशा आनंदित रहने का भाव सिखाता है , इंसान को परिपक्व बनाता है ,ये सभी गुण सिर्फ प्रेम मिलता है और किसी बाज़ार में नही ।
प्रेम में डूबा आशिक हमेशा उस नदी के सामान होता है जो हमेशा छटपटाता रहता है कि किनारा कब मिलेगा , और इसी किनारे की मिलने और ना मिलने के बीच द्वंद को प्रेम कहते हैं , प्रेम पृथ्वी पर रह रहे हर जीव ,निर्जीव , तथा सभी करते हैं ,उनकी प्रेम की लीला शायद ही अलग हो ,लेकिन जानी हमेशा इंसानो की ही जाती है ।
खैर प्रेम को परिभाषित नही किया जा सकता वह तो अपरिभाषित है ,साथ ही अपठनीय भी । क्योकि प्रत्येक मनुष्य की प्रेम अलग अलग होती है उनकी परिभाषा भी अलग होती है ।
प्रेम की सबसे सुंदर आकृति अगर कोई है तो वह शुद्ध स्त्री का मन है ,क्योकि वहां वास करना मतलब ईश्वर के चरण में वास करना है , और यह सिंपल नही है ।
खैर प्रेम तो हर उम्र में होता है 16 कि उम्र में किया गया प्रेम प्रेम नही होता ,वह तो सिर्फ पाने की ललक होती हैं कि कब ‘ अपने प्रियतमा’ को देख ले , कैसे कपड़े पहने है , स्कूल आयी है कि नही है , उसका तबियत खराब तो नही है , हरदम तड़प बनी रहती हैं जैसे बिना जल मछली तड़पती है , अगर दिख गई तो भाई ! भाई ! ” वो आई है’ । ऐसा वह दृश्य होता हैं कि मानो की उस समय उस आशिक से अगर कुछ मांगा जाए तो वह वैकुण्ठ भी दान दे देगा ।
लेकिन प्रेम करने का सबसे खतरनाक उम्र यही होता है क्योकि इसमें कई लोग पाने की चाह में गलत कार्य भी करते हैं ,नशे काटना ,जहर पीना जैसे कार्य करते हैं जो कदापि प्रेम का गुण नही था , प्रेम सिर्फ करने की चीज है पाने की नही ।
उम्र के पड़ाव में एक ऐसा भी वक्त आता है जब प्रेम अन्तरात्मा से किया जाता है जो दो प्रेमी बिना एक दूसरे को बताए प्रेम करते हैं ,चिल्लाते नही ,जाहिर नही करते हैं, मंद मंद रूप से एक दूसरे को अपने दिल मे बसाए रखते हैं और जब शुभ बेला आती है तो इजहार हो जाती है ।
मेरा मानना है कि सबसे सुंदर प्रेम वह होता है जब उसे बताया और जाया न कि जाए , और ठीक उसी प्रकार का प्रेम सबसे किया जाए क्योकि प्रेम अपने आप मे इतिहास हैं आज हम जीतने भी प्रेम कथाएं पढ़ते हैं सभी को अपना प्रेम नही मिला ,क्योकि प्रेम सिर्फ करने की चीज है पाने की नही ।
आज प्रेम की महत्ता ठीक उसी प्रकार घटती बढ़ती है जिस प्रकार किसी देश की अर्थव्यवस्था । क्योकि अर्थव्यवस्था भी पूंजी पर टिकी है ,और आज का भी प्रेम पूंजी पर ही टिकी हुई है। कहने वाले ऐसा नही कहते ,लेकिन उसका अंतिम छोर यही है ,आप मे योग्यता नही तो प्रेम भी अधूरी ही रहेगी ।
एरिक फ्रॉम की पुस्तक द आर्ट ऑफ loving , में उन्होनो प्रेम के बारे में बताया है कि
Love is not primarily a relationship to a specific person; it is an attitude, an orientation of character which determines the relatedness of a person to the world as a whole, not toward one “object” of love. If a person loves only one other person and is indifferent to the rest of his fellow men, his love is not love but a symbiotic attachment, or an enlarged egotism. Yet, most people believe that love is constituted by the object, not by the faculty.
आगे उन्होनो यह भी कहा कि
,”अगर मैं किसी एक व्यक्ति से प्रेम करता हूं तो मैं सभी व्यक्तियों से प्रेम करता हूं, किसी से ‘आय लव यू’ कहने का सच्चा अर्थ है कि मैं उसके माध्यम से पूरी दुनिया और जिंदगी से प्रेम करता हूं।”
आखिर प्रेम को लिखना बड़ा कठिन है प्रेम के सिर्फ चर्चे को ही लिखा जा सकता है ,प्रेम की गहराइयों को नही ।
खैर अनामिका अम्बर द्वारा लिखा एक शेर है :-
“अगर पास वह है तो हिचकियाँ अच्छी नही लगती , बिना मौसम के बादल बिजलियाँ अच्छी नही लगती
मिले रिस्पांस तो लड़के बहुत तारीफ करते हैं
जो ठुकरा दे उंन्हे वह लडकिया अच्छी नही लगती ” ।
अतः प्रेम कीजिये सभी से , उसी तरह जैसे आप अपने पसंदीदा को करते हैं , क्योकि छोड़ कर जाए तो उसकी यादे रहे , और उन यादों से फिर से प्रेम की बीज को बोया जाए ,वह प्रेम अपने बच्चे में ,समाज मे , देश मे , परिवार में , कही भी प्रत्यारोपित किया जाए ।