अक्सर कोई तारा जमी पर टूटकर
अक्सर कोई तारा जमी पर टूटकर
गिरते हुए मैंने देखा है…
मगर दिल में दबी किसी मन्नत को
कभी हमने फरमाया नहीं ।
हजारो ख्वाईशो का बोझ लेकर
जिंदगी के सफर में बस चलते रहे…
ख्वाइशों का हिसाब पाँव के छालों में था
मगर आँखों ने कभी अश्क़ बहाया नही ।
‘अशांत’ शेखर