Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Aug 2021 · 1 min read

अक्षम

यह एक पेड़ की टहनी
पत्तों से लदी है
गर्दन इसकी झुकी है
सांस इसकी रुकी है
चेहरे पर इसके तनाव है
मन भी इसका उदास है
फूलों की खुशबुओं से तो
हरदम महकती है फिर
जीवन में किस मुकाम की इसे
अब तलाश है
चंदनबन में रहते रहते
चंदन की लकड़ी सी तो बन गई है
चाहती थी या नहीं चाहती थी
जाने अंजाने पर
महकते उपवनों के जाल में तो
फंस गई है
इससे बाहर निकलना चाहती है या
इन सबके बीच रहना चाहती है
यह निर्णय लेने में नहीं सक्षम है
तभी इतनी विनम्र है
जीने की कला में अभी भी दक्ष नहीं
निपुण नहीं
आत्मविश्वास की भी कहीं कमी
है
जीवन गुजर जायेगा
जीवन को समझने में अभी भी
अक्षम है।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
1 Comment · 693 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Minal Aggarwal
View all
You may also like:
#आध्यात्मिक_कविता
#आध्यात्मिक_कविता
*प्रणय*
यदि धन है और एक सुंदर मन है
यदि धन है और एक सुंदर मन है
Sonam Puneet Dubey
बेवकूफ
बेवकूफ
Tarkeshwari 'sudhi'
गंगा...
गंगा...
ओंकार मिश्र
संभव की हदें जानने के लिए
संभव की हदें जानने के लिए
Dheerja Sharma
सफर पर चला था इस भ्रम में कि सभी साथ होंगे वक्त बेवक्त मेरे
सफर पर चला था इस भ्रम में कि सभी साथ होंगे वक्त बेवक्त मेरे
VINOD CHAUHAN
सजन हमने  लगाई है तुम्हारे  नाम की मेंहदी
सजन हमने लगाई है तुम्हारे नाम की मेंहदी
Dr Archana Gupta
पानी की तरह प्रेम भी निशुल्क होते हुए भी
पानी की तरह प्रेम भी निशुल्क होते हुए भी
शेखर सिंह
तेरी जलन बनाए रखना था, मैने अपना चलन नहीं छोड़ा।
तेरी जलन बनाए रखना था, मैने अपना चलन नहीं छोड़ा।
Sanjay ' शून्य'
मुझे इश्क़ है
मुझे इश्क़ है
हिमांशु Kulshrestha
अब हम उनके करीब से निकल जाते हैं
अब हम उनके करीब से निकल जाते हैं
शिव प्रताप लोधी
महबूबा से
महबूबा से
Shekhar Chandra Mitra
हरियाली तीज....
हरियाली तीज....
Harminder Kaur
बचपन
बचपन
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
अज्ञात है हम भी अज्ञात हो तुम भी...!
अज्ञात है हम भी अज्ञात हो तुम भी...!
Aarti sirsat
Everything happens for a reason. There are no coincidences.
Everything happens for a reason. There are no coincidences.
पूर्वार्थ
तुम्हारे फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
तुम्हारे फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
Packers and movers in Jind |Movers and Packers in Jind
Packers and movers in Jind |Movers and Packers in Jind
Hariompackersandmovers
आवो रे मिलकर पौधें लगायें हम
आवो रे मिलकर पौधें लगायें हम
gurudeenverma198
वक्त के आगे
वक्त के आगे
Sangeeta Beniwal
3421⚘ *पूर्णिका* ⚘
3421⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
मेरे टूटे हुए ख़्वाब आकर मुझसे सवाल करने लगे,
मेरे टूटे हुए ख़्वाब आकर मुझसे सवाल करने लगे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
केही कथा/इतिहास 'Pen' ले र केही 'Pain' ले लेखिएको पाइन्छ।'Pe
केही कथा/इतिहास 'Pen' ले र केही 'Pain' ले लेखिएको पाइन्छ।'Pe
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
तेरे साथ गुज़रे वो पल लिख रहा हूँ..!
तेरे साथ गुज़रे वो पल लिख रहा हूँ..!
पंकज परिंदा
आपकी मुस्कुराहट बताती है फितरत आपकी।
आपकी मुस्कुराहट बताती है फितरत आपकी।
Rj Anand Prajapati
मुक्तक
मुक्तक
डॉक्टर रागिनी
सर्द
सर्द
Mamta Rani
क्यों सिसकियों में आवाज को
क्यों सिसकियों में आवाज को
Sunil Maheshwari
🚩🚩
🚩🚩 "पं बृजेश कुमार नायक" का परिचय
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
"कु-समय"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...