अक्टूबर मे ढमढम (बाल कविता)
अक्टूबर मे ढमढम (बाल कविता)
**************************
बादल आए , पानी बरसा
अक्टूबर में ढमढम,
गर्मी रानी बोली रोकर
अब समझो हम बेदम
एसी बंद करो
पंखे को दिन में सिर्फ चलाना,
आएगा अब नहीं पसीना
मूँगफली बस खाना
रोज रात को हुई जरूरी
गरमा-गरम रजाई,
कुल्फी के दिन गए
चाय की चुस्की मन को भाई
***********************
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451