*अकेले सफ़र करूँगी मैं*
कोई भी रास्ता बहुत सोचकर चुनूँगी मैं,
अबकी बार अकेले सफ़र करूँगी मैं,
हाँ जानती हूँ बड़ा मुश्किल होगा ,इस भीड़ से उभरना,
पर इस बार खुद से खुद के लिए लड़ूँगी मैं,
अबकी बार अकेले सफ़र करूँगी मैं।
दिखावें के अपनेपन पर ,ना विश्वास करूँगी मैं,
पल भर की खुशी के लिए , ना आँसू बर्बाद करूँगी मैं,
हाँ अबकी बार अकेले सफ़र करूँगी मैं।
दुनिया के झूठे रस्म-ए-रिवाज़ो से नही डरूँगी मैं,
कांटो की बगिया से भी, फूल चुनूँगी मैं ,
अबकी बार अकेले सफ़र करूँगी मैं।
नही जरूरत मुझे, कच्चे रिश्तों और सहारों की,
लड़खड़ाऊंगी, गिरूँगी पर खुद को संभालूंगी मैं,
कोई भी रास्ता बहुत सोचकर चुनूँगी मैं,
मतलब भारी राहों से, तन्हा ही गुजरूंगी मैं,
हाँ अबकी बार अकेले सफ़र करूँगी मैं।