अकेलापन
बढ़ती आबादी – बढ़ता अकेलापन
जिधर देखो, उधर भीड़ ही भीड़
पर सब कितने तन्हा – तन्हा
घर मे अकेले – सड़क पे अकेले
अंदर अकेले – बाहर अकेले
कहीं – ना – कहीं
अपने आपसे बाते करते
जींदगी की हर शै में अकेले ।
~रश्मि
बढ़ती आबादी – बढ़ता अकेलापन
जिधर देखो, उधर भीड़ ही भीड़
पर सब कितने तन्हा – तन्हा
घर मे अकेले – सड़क पे अकेले
अंदर अकेले – बाहर अकेले
कहीं – ना – कहीं
अपने आपसे बाते करते
जींदगी की हर शै में अकेले ।
~रश्मि