“अकेलापन”
“अकेलापन”
आज रात की चुप्पी में, अकेलापन की आवाजें,
सितारों से बातें करता, ख्यालों में खोया हुआ पुष्पराज।
धुंधले से गलियों में, चलता हूँ अकेला,
खोजता हूँ खुद को, मिटती अपनी तन्हाई का गिला।
हवा के साथ संगीत, रूह को छू जाता है,
अकेलापन की गहराई, दिल डूब जाता है।
चाँदनी की किरणों में, सपनों की डोर खोलता,
अकेलापन के साथी, अपनी राह को ढूंढता।
स्वप्नों की उड़ान में, आज़ादी का एहसास,
अकेलापन की राहों में, अपना कोई नहीं साथ।।
“पुष्पराज फूलदास अनंत”