अकादमी पुरूस्कार वला नांगैड़ (हास्य कटाक्ष)
बाबा बड़बड़ाइत बजैत रहै जे कहअ त एहनो कहूँ नांगैड़ भेलैयै जे गुमाने चूर भेल नंगड़डोलौन सन नांगैड़ डोलबैत रहौअ. कोई बुझलक गमलक किछो नै आ फूफकार जे ओकरा सन बुझनूक आन कोनो तेसर नै? हम किए एकरा सबहक गप माइन लियअ जे बलू जोगता बले पुरूस्कार भेटलैइए? जूरी सब ताबे कोन किताब लिख नेहाल कअ देलकै? मैथिली किताबक कोन रेकाड तोड़ बिक्री हुअ लगलै?
आ सबटा ढेलमारा सब अपना ताले अगिया बेताल भेल हो हो क रहल जे आब साहित्य अकादेमी मे नव त्रिमूर्ती संजोजक बनलै त आब मैथिली साहित्य वला सब के नोबेल पुरूस्कार वला नांगैड़ भेट जेतै आ नंगड़डोलौन सब त की कहियअ.
हमे बाबा से पूछली हो बाबा भिंसरे भिंसरे की होलौ कोई भांग मिला परसादी चढाए देलकौ जे एतना बड़ बड़ कर रहलौ? होलौ की से बोलहो ने जे बलू कनी हमरो अरू बुझबै ग. हमर बात सुन बाबा तमसाएल बोललकौ हौ कारीगर तोरो हरदम लोहछैले गप होई छह? तामसे हमर देह जड़ल जा रहल आ तोरा मजाक बूझा रहल छह? हम्मे बोललीयै नै हो बाबा हमरा मजाक न सूझ रहलौ अच्छा तोरा देह जड़ रहलौ त एक लोटा पानी फूल बेलपत चढ़ा देबै तबे त सबूर होतै. एतना सून बाबा हां हां के बजलौ हौ कारीगर तहूं पत्रकार भऽ की अगतिया छौंड़ा सन बिचारै छह. हम्मे कहलियै हो बाबा होलौ की से बोलहो ने कैमरा सामने लोको अरू कनी बुझतै. बाबा बोललकै अच्छा पहिने एक जूम तमाकुल खुआबह फेर कहै छियअ सबटा खेरहा. फेर हम बाबा के खैनी चुना देली.
तमाकुल खा बाबा बोले लगलै हौ की कहियअ ई भागेसर पंडा हरदम नंगड़डोलौन जेंका केने फिरतह. हरदम दमसी झारतह जे हमरा अकादमी पुरस्कार भेट चुकल अछि. हमरा सन वरिष्ठ साहित्यकार आन तेसर के? हम कहलियै हौ भागेसर तोहर लिखल किताब कए गोटे देखलकह पढलकह से कहअ त कनी. अच्छा कोन किताब लै पुरूस्कार देल गेलह? भागेसर हमरा कहलक जे पेन डराइव मे जूरी आ कमंडल मे पुरूस्कार कृति लेल हमरा साहित्य अकादमी पुरस्कार देल गेल. हमरा हँसी स रहल नै गेल. हम पुछलियै हौ भागेसर ई कहअ त तोहर लिखल किताब कए गोटे देखलकह पढलकह? त भागेसर पंडा कहैईए जे तै स हमरा कोन काज? जूरी देख लेलकै पुरूस्कार भेटि गेल आर की? कहअ त जोगाड़ बले पुरूस्कार भेटलह आ नंगड़डोलैन भेल अगिया बेताली करै छह. भागेसर बाजल यौ बाबा अहाँ के त साहित्य के एक्को रति गिआन नै अछि. हम बजलौं हं तोरा त तकेर गिआन छह जे नोबेल पुरूस्कार वला लाजे लजा गेल. कवि सम्मेलन में त तोरा नामे लाखक लाख टिकट कटाई छै कहलकै जे.
हम्मे बाबा से पुछली हो बाबा कुछौ मैथिली भाषा साहित्य पर बोलहो ने. एतना सुन बाबा हां हां करैत बोले लगलौह हौ कारीगर की कहियअ पुरूस्कार दुआपे मैथिली वला सब निर्लज्ज पैतता भेल जा रहलै. अईं हौ मैथिली किताब दर्शक पाठक देखबे किनबे नै करै छै तब कथी झूठो तितमहा जे मैथिली साहित्यकार? ओना सब अपना गिरोह लेल वरिष्ठ साहित्यकार कथाकार कवि आ एकरा सब के गिरोहक लोक छोइड़ आम दर्शक पाठक चिन्हबे जनबे नै करै जाइ छै. चंदा क आ मैथिली भोजपुरी अकादमी रूपैया पर भेल कवि सम्मेलन मे जा नेहाल होइत रहतह. तहू मे दर्शको स बेसी कवि आ तइओ निरलज्ज भेल जोगाड़ बले अकादमी पुरस्कार लऽ नंगड़डोलौन बनल घूरतह जे हमरा पुरूस्कार भेटि गेल. जेना अइ निरलज्जा सबहक धोती ढेका मे अकादमी पुरूस्कार वला नांगैड़ लागल होउ?
बाबा बोलैत रहै अई पुरूस्सकारी सबहक किताब बिकाई छै नैहें लोक देखलक पढ़लक कहियो नैंहे आ झूठ्ठो हल्ला अनघोल करै जेतह जे फलां के अकादमी पुरस्कार भेटलैन. आ जूरी गोंसाई सब तेहने ढेलमारा अन्हरा सब जे सरे कुटमार चिन्हा पैरचे चरणवंदनी करनीहार सबके खाली पुरूस्कृत टा करतह. आन कोनो मैथिली रचनाकार सोलकन रचनाकार सबहक नाम चयन बेर जेना अई हेहड़ा सबके हड़हड़ी बज्जर खइस पड़ैत होउ? पुरूस्कारी खेला क ई सब छनछोहा जेंका केने फिरतह जेना अनका कोनो साहित्यिक विधानक जानरारी नै होऊ. मैथिली मे त गिरोहवादी पुरूस्कार ई पुरस्कार ऊ पुरूस्कार किदैन कहां दिन पुरूस्कार मारते रास पुरूस्कार बंटेतह की. साहित्य रचना तेरहे बाइस सन रहतह आ चंदा बले चंदा जमा करा ई आयोजनी दलाल सब अपना खासमखास होहकारी, पिछलगुआ, चमचा सबके कोनो ने कोनो पुरूस्कार दिआए टा देतह की. आ खूब डंका पीटतह जे चिल्लां फलां पुरूस्कार स सम्मानित साहित्यकार. ई झूठ्ठा साहित्यिक दलाल सब नै तन. ई सब त मैथिली साहित्यक दोकान खोलि मनमौजा पाउज करै मे लागल यै.
हम्मे बाबा के टोकली आ पूछली हो बाबा मान लहू हमरा तोरा पुरूस्कार नै मिलतौ कार्यक्रम मे नै बजौने रहतौ त हमरा तोरा अरू साहित्यकार नै होलइए की तोंही बोलहू ने कनी निसाफ. हमर गप सून बाबा बोले लगलौ हौ कारीगर की तूं हमरे मुँहे सबटा कहाबह चाहै छ. हौ तहू़ं त पत्रकार छह आ समावेशी मैथिली लै लड़ाई लड़ैत रहै छ तोरो त सबटा गप बुझले हेतह. हम्मे बजली हो बाबा हमरो बड्ड किछो बूझल छहो तोंई अपने सबटा मैथिली साहित्यक पुरूस्कारी दललपनी दिया बोलबहू त बरगांही के आनो मीडियावला सब बुझतहे ने हो? बाबा हां हां के बोले लगलै हौ मैथिली साहित्य वला सब त पुरूस्कार लोभे निरलज्जा भ जाइ गेलै. पुरूस्कार जोगाड़ बले भेटै छै की जोगता बले? मैथिली साहित्य आम जन लक तक पहुँचलै कहियौ. मैथिली किताब पत्र पत्रिका बिकाई छै नैंहे लोक देखै छै नैंहे आ ई नंगड़डोलौन सब प्रचार मे रहतह वरिष्ठ साहित्यकार त साहित्य अकादमी पुरस्कृत साहित्यकार कहबौतह. कहलकै जे निरलज्जा सबके लाजे कथी के. कते किताब त पुरस्कार घोषणा बादो छपलै. रूसल छै बाबा, अनघोल सनघोल, पेन डराइब मे जूरी त कमंडल मे पुरूस्कार. साहित्य अकादमी 1975 स 2020 तक बाभने साहित्यकार टा के पुरूस्कार हुअ देलकै. कते फजीहतअ बाद चुपचापी मंडल के पुरस्कार द बिध पुरौलकै आ तेकरा बाद मंडल कमंडल के खुश करबाक चलकपनी चालू करै जाई गेलै. आ फेर लगले मे पेन डराइब मे पुरूस्कार द फेर बभनवादी गिरोहक कटु चाइल शुरू भऽ गेलै. त सब मिल फेर अकादमी पुरूस्कार वला नांगैड़ डोलवैत रहअ आ विद्यापति समारोह जेंका ओई पुरूस्कारी नांगैड़ के धो पक्का खाई जाइत रहअ. मैथिली साहित्य सुडाह किए नै भ जाऊ लेकिन पुरूस्कारी नांगैड़ डोलबैत रहअ.
हम बीच मे बजली हो बाबा कोन नांगैड़? बाबा हां हां के बोले लगलै हौ अकादमी पुरूस्कार वला नांगैड़.
लेखक- डाॅ. किशन कारीगर
(©सुरक्षित)
दिनांक- 29/12/2022