*अकड़ू-बकड़ू थे दो डाकू (बाल कविता )*
अकड़ू-बकड़ू थे दो डाकू (बाल कविता )
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अकड़ू-बकड़ू थे दो डाकू
सदा जेब में रखते चाकू
जो भी मिलता उसे लूटते
हड्डी-पसली खूब कूटते
पुलिस पकड़ कर थाने लाई
जज साहब ने सजा सुनाई
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा रामपुर उत्तर प्रदेश
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