अंधेरों से जा मिला
बख्श कर चांद को ज़िया सूरज
खुद अंधेरों में जा छुपा सूरज
है जो ताकत सुखा पसीने को
सागरों को सुखा चुका सूरज
चांद तारों की रूह कांप उठी
देख कर डूबता हुआ सूरज
काश हमको भी साथ ले लेता
तू अकेला ही क्यों जला सूरज
इन हवाओं के एक तेवर से
बादलों में समा गया सूरज
जाते जाते यह कर गया एहसान
मेरा साया बढ़ा गया सूरज