अंधेरे दौर
तुम गा रहे
उस दौर तराना!
जब था यहां
कबीलों का ज़माना!!
(१)
आदमियत के
ख़ून से लिखा गया
दुनिया भर में
माज़ी का फ़साना!!
(२)
कंगाल करके
मेहनतकशों को
किसने भरा
सदा अपना खज़ाना!!
(३)
अपने गुनाह
कबूल करो अब
बनाते रहोगे
कब तक बहाना!!
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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