अंधेरे को अपना दोस्त बना लिया
मैंने अकेलापन को दोस्त मान लिया था,
अंधेरे को जीने का सहारा बना लिया था,
मै खास नहीं था फिर भी तूने खास बनाया,
मोहब्बत को मेरे सांसो का अहसास बनाया,
तुम्हे तो अपने बुरे समय निकालना था,
प्यार का छदम खेल रचाना था,
चलो तुमने अपना काम बखूबी किया,
हमें धूल खुद को खुद के नज़रों में खुदा किया,
तूने फिर से खेल रचाया है बस इंसान कोई और है,
हमने फिर से अंधेरे को अपना दोस्त मान लिया!!!