अंधेरी रात
माना कि
रात अंधेरी है
सुबह होने में
देरी है
फिर भी दीया
जलाए जा
आंधी में
जगमगाए जा…
(१)
माना कि
रूत अनेरी है
बहार आने में
देरी है
फिर भी गीत
सुनाए जा
पतझर में
खिलखिलाए जा…
(२)
माना कि
ऊमस अहेरी है
बारिश होने में
देरी है
फिर भी
धूम मचाए जा
इस लू में
सबा बहाए जा…
(३)
माना कि
वादी घनेरी है
मंज़िल मिलने में
देरी है
फिर भी
क़दम बढ़ाए जा
रास्ते में
गुनगुनाए जा…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
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