*अंधी लड़की और किताब (कहानी)*
अंधी लड़की और किताब (कहानी)
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शाम होने लगी थी । चौराहे पर लाउडस्पीकर से घोषणा हो रही थी- “मनोरंजक तथा ज्ञानवर्धक कहानियों की पुस्तक मुफ्त में प्राप्त करने के लिए लाइन में लगने का कष्ट करें ।”
सड़क से गुजर रही वह लड़की बिना देर किए लाइन में लग गई । लाइन लंबी थी। करीब आधा घंटा लड़की को लग गया । जब लड़की का नंबर आया और किताब देने वाले ने किताब को लड़की की तरफ बढ़ाया तो लड़की यह अंदाजा नहीं कर पाई कि किताब कहाँ है ? उसने अपने दोनों हाथ हवा में किताब की तलाश में टटोलने की मुद्रा में इधर-उधर करने शुरू कर दिए।
किताब देने वाला चीख पड़ा “क्या तुमने मजाक समझ रखा है ! किताब क्यों लेना चाहती हो ? तुम अंधी हो । क्या यह रद्दी है , जिसे ले जाकर तुम अपने घर पर पुड़िया बनाने में इस्तेमाल करोगी ? ”
लड़की शांत होकर बोली” मैं अंधी हूँ लेकिन मेरा छोटा भाई तो पढ़ा लिखा है । वह कक्षा पाँच में पढ़ता है । खुद भी पढ़ लेगा और मुझे भी आपकी किताब में लिखी हुई मनोरंजक और ज्ञानवर्धक कहानियाँ पढ़कर सुना देगा ।” इतना कहकर लड़की ने जल्दबाजी में कहा “मुझे जल्दी किताब दीजिए । मैं मेहनत मजदूरी करके आ रही हूँ। मेरा भाई मेरा इंतजार कर रहा होगा।”
मुफ्त किताब बाँटने वाले की आंखों से आँसू बहने लगे । बोला “मुझे माफ कर देना बेटी ! अंधी तुम नहीं हो । अंधा तो मैं हूँ। ”
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लेखक : रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99 97 61 5451