अंदाज़ इश्क
किसी ने पूछा इश्क क्या है ?
मैंने कही जो मुस्कान से शुरू हो,
एक दूजे का रखे ख्याल।
इज्जत पर बढ़े,
विश्वास से जवां हो।
खुशियों में निखरे ,दुखों को बाँटे
और आंसुओ से फना हो जाये…।
लेकिन सबका इश्क,
एक जैसे नहीं होते ,ये तो उसके आशिक जाने।
जैसे फूल और पराग ,मीरा और श्याम,
मां और श्रवण, राधा-कृष्ण।
ये तो एक दूजे के बने ,
फिर इसे आप जो नाम दे ।
इश्क या प्रेम,
प्यार या प्रीत।
ये बस ढाई अंक जाने।।
इश्क कि परिभाषा,
आशिक के अंदाज़ ।
काल चाल से परे ,
हर काल में दुहराए।
जब इश्क का लागी लगन,
तब आशिक होय मग्न।
तब छाए गगन,इश्क लागी लगन।।
#किसानपुत्री_शोभा_यादव