अंदाज पुराना बिल्कुल है वही… !!
लगता है तुम्हे देखा है कही, मेरा दिल चुराकर जाओ ना यूँ ही…
हज़ारो गुलो की खुश्बू, हवाओ के संग लाती हो,
गुजरते ही करीब से मेरे, तुम रोम -रोम महकाती हो… !
तुम्हारी मृगनयनी आँखों को, मैंने झपकते देखा है,
तुम्हारे चंचल गुमानी इरादों को, मैंने झलकते देखा है…!
कुछ अनजानी सी लगती हो, कुछ अरमानी सी लगती है,
सच कहूं गर मैं सनम, कुछ तूफानी सी लगती हो… !!
आँखों की अदा बिलकुल है वही, हूरो-सी अदा बिलकुल है वही,
तुम मानो या ना मानो सनम, अब भी दीवानी सी लगती हो वही…!
पैतरे है वही मस्त निगाहो के, तजुर्बे है वही शर्मीली बाहो के..!
नाज -ओ -अदा, वही शर्म -ओ- हया….
वही प्यार जो दिल से करती हो बयाँ…!
नज़रे मिलाना और शर्माना,
अंदाज पुराना, बिल्कुल है वही… !!