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22 May 2023 · 1 min read

अंदाज ए इश्क

अंदाज़ ए इश्क
——————

नज़रें जरा सी क्या इनायत की इश्क ने,
हुस्न के चेहरे पे रंग ए गुलाल आ गया।

इज़हार ए मुहब्बत क्या किया इश्क ने,
देखते देखते हुस्न पर नूर आ गया।

इकरार ए मुहब्बत क्या किया उन्होंने,
जिंदगी में मौसम ए बहार आ गया।

गुलों ने खिलना जब से सीखा चमन में,
गुलशन में खुशबू का दौर आ गया

हाथों ने जब छुआ उनके हाथों को ऐसे
दिल के तारों को झनझनाना आ गया।

दो कदम चलके वो करीब क्या आए,
जमाने वालों को बातें बनाना आ गया।

थाम कर हाथ इश्क ने जो सजदा किया,
हुस्न वालों को इबादत का हुनर आ गया

संग साथ निभाने के वादे क्या किए हमने,
लोगों में वादे निभाने का चलन आ गया।

संजय श्रीवास्तव
बालाघाट ( मध्य प्रदेश)

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