:: अंदाज़ ::
** अंदाज़ **
// दिनेश एल० “जैहिंद”
जग में सबके अपने-अपने अंदाज़ हैं ।
अपने-अपने सबके यहाँ तो काज है ।।
कौन क्या किसी से लेता-देता यहाँ,,
सबको अपने-आप पर बड़े नाज़ है ।।
चिड़ियों के उड़ने का अंदाज़ निराला है ।।
शेरों के गरजने का अंदाज़ विकराला है ।।
हरेक प्राणी के जीने का अंदाज़ है पृथक ,,
हिरणों के चलने का अंदाज़ मतवाला है ।।
हर किसी के जीने की कुछ-कुछ शैली है ।।
किसी की चादर साफ़ किसी की मैली है ।।
किसी की सोच ऊँची तो किसी की ओछी,,
कहीं आवाज़ मीठी तो कहीं मट-मैली है ।।
सूरज के निकलने का अंदाज़ खूबसूरत है ।।
चंद्रमा को उगने के अंदाज़ से मोहब्बत है ।।
सबमें अंदाज़ है बिना अंदाज़ का कौन है,,
सितारों की जगमगाहट में भी शराफत है ।।
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दिनेश एल० “जैहिंद”
12. 01. 2018