अंदाज़े बयाँ
अंदाज़े बयाँ
लब पर उनके अजब मुस्कान थी
जीने – मरने का वह , अजब सामान थी |
हम सोच बैठे उसे , मुहब्बत का खेल
वह तो हमारे कफ़न का सामान थी ||
अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”
अंदाज़े बयाँ
लब पर उनके अजब मुस्कान थी
जीने – मरने का वह , अजब सामान थी |
हम सोच बैठे उसे , मुहब्बत का खेल
वह तो हमारे कफ़न का सामान थी ||
अनिल कुमार गुप्ता “अंजुम”