अंदर तेरे शक्ति अगर गंभीर है
अंदर तेरे शक्ति अगर गंभीर है,
बाहरी बाधाएं सारी जीर्ण है..
जो हार है वो बस मति की कल्पना,
जो जीत है वो हस्त पर उत्कीर्ण है..
भयभीत मत होना , अंधेरा देख कर,
वीरों का पथ होता ही कंटकाकीर्ण है..
तू ही तेरा दीपक है तू ही तेज है,
अपने प्रति क्यों दायरा संकीर्ण है..
न दे यदि सूरज तुझे अंगार तो,
यहां कोटि सूर्य ब्रह्म में विकीर्ण है
©Priya ✍️