अंत में कुछ नहीं बचता है..हम हँस नहीं पाते हैं
अंत में कुछ नहीं बचता है..हम हँस नहीं पाते हैं
हम रो नहीं पाते हैं.. हृदय किसी पत्थर की तरह हो जाता है जिस पर आती हुई सुबह या ढलती हुई शाम किसी का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है
हम एकांत प्रिय हो जाते हैं..किसी से हम कुछ कहेंगे तो वो हमारा मजाक ही उड़ाएगा..जीना सीखिए दर्द के साथ 😌🖤