Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Feb 2021 · 3 min read

अंत भला तो सब भला

कहानी :

“अंत भला तो सब भला”

जय , सुनील और संदीप की गिनती मौहल्ले के सबसे शैतान बच्चों में होती थी । तीनों आए दिन कोई न कोई शैतानी करते ही रहते थे , मोहल्ले वालों के साथ साथ उनके घर वाले भी उनकी इन शैतानों की वजह से बहुत परेशान रहते थे। क्योंकि वह पढ़ाई में लगातार पिछड़ते जा रहे थे , घर वालों की चिंता भी लगातार बढ़ रही थी । मगर खास बात यह थी कि तीनों की दोस्ती देखते ही बनती थी । जहां भी जाते तीनों संग संग ही जाते थे , चाहे कोई खुराफात हो घूमने जाना हो उनका संग हमेशा रहता था ।
एक दिन तो हद ही हो गई जब उन्होंने मंदिर के सामने बहुत सारे पटाखे छोड़ दिए आजिज होकर मोहल्ले वाले उनके घर शिकायत लेकर पहुंचे । शिकायत सुन घर वालों का पारा हाई हो गया , उन्होंने तीनों की जमकर लताड़ लगाई और आदेश पारित कर दिया कि अगर आइंदा ऐसा हुआ तो वह घर में ना घुसे । जय सुनील और संदीप को घर में पड़ी लताड़ इतनी बुरी लगी की उन्होंने घर छोड़ने का फैसला कर लिया और रात वाली ट्रेन से ही घर से भाग गए । जब सुबह उठकर घरवालों ने देखा तो जय , सुनील और संदीप घर पर नहीं थे । पूरे मोहल्ले में शोर हो गया कि तीनों बदमाश लड़के घर से भाग गए हैं , पूरे मोहल्ले ने राहत की सांस ली….. चलो कुछ दिन तो शांति रहेगी । लेकिन घरवाले बुरी तरह परेशान हो गए उन्होंने जगह-जगह उनकी तलाश करी पर उनका कहीं अता पता नहीं चला , हार कर वह भी टिक कर घर पर बैठ गए और मन ही मन सोचने लगे कि जब पैसे खत्म हो जाएंगे तो घर वापस आ जाएंगे ।
जय , सुनील व संदीप घर से भागकर ट्रेन में तो बैठ गए थे पर उन्हें पता नहीं था ट्रेन कहां जा रही है । पूरी रात का सफर कर ट्रेन सुबह शिमला के स्टेशन पर पहुंच गई शिमला के स्टेशन पर जय , सुनील व संदीप तीनों बहुत प्रसन्नता पूर्वक उतरे पर उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि शिमला के किसी महंगे होटल में रह सके , अतः शिमला के नजदीक ही एक गांव में एक किसान के घर पर रुक गए , गांव में उन्होंने सभी को यही बताया कि वे शिमला घूमने आए हैं । तीनों की घर पर इतनी बेइजती हुई थी कि अब उन्होंने पक्का फैसला कर लिया था कि घर वापस नहीं जाना है और बाहर रहकर ही खूब पैसा कमाएंगे । लेकिन दो-चार दिनों में ही उनके हौसले पस्त हो गए शिमला जैसे महंगे शहर में गुजारा करना उनके लिए मुश्किल हो गया उनके पैसे भी अब खत्म होने लगे थे , तीनों ने विचार किया चलो दिल्ली चलते हैं , वहां उन्हें जरूर काम मिलेगा यही सोच वह अपना बोरिया बिस्तरा उठा दिल्ली आ गए ।
दिल्ली पहुंचकर कई दिनों की भागदौड़ के पश्चात जय व सुनील को एक ढाबे पर वेटर की नौकरी मिल गई व संदीप एक मोटर मैकेनिक के पास लग गया । तीनो का अपनी नौकरी से प्राप्त धनराशि से मुश्किल से ही गुजारा हो पाता था । इस तरह 6 माह का समय गुजर गया इधर उनके घर वाले भी उनके घर ना आने की वजह से बहुत परेशान थे और जगह-जगह जाकर उनकी तलाश कर रहे थे । अब तीनों को अच्छे से समझ आ चुका था कि बगैर शिक्षा पूर्ण करें वह कभी कामयाब नहीं हो सकते और उनकी की गई कारगुजारीओं के कारण उनके घर वालों को कितना दुख हुआ होगा । अंततः उन्होंने वापस घर जाने का फैसला कर लिया 1 दिन तीनों ने अपना सारा सामान बांधा और वापस अपने शहर आ गए । तीनों को वापस घर पर पाकर घर वाले बहुत प्रसन्न हुए तीनों ने अपने घरवालों से माफी मांगी , वह आगे से पढ़ाई में पूरा ध्यान देने व किसी भी प्रकार की कोई शैतानी ना करने का वादा किया । घर वाले भी तीनों के स्वभाव में इस परिवर्तन को देख अति प्रसन्न थे , उनको पता था यह परिवर्तन जीवन में किए गए अथक संघर्ष के कारण हुआ है , क्योंकि उन्हें इसका अनुभव था । उन्होंने अपने बच्चों में आए इस परिवर्तन के लिए परम पिता का शुक्रिया अदा किया व मन ही मन प्रसन्न होते हुए कहा “अंत भला तो सब भला”

(स्वरचित)

विवेक आहूजा
बिलारी
जिला मुरादाबाद
@9410416986
@8923831037

किसी ने ठीक ही कहा है :

“रंग लाती है हिना , पत्थर पर घिस जाने के बाद
सुर्ख रू होता है इंसा , ठोकरें खाने के बाद”

Language: Hindi
3 Likes · 6 Comments · 4415 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मां भारती से कल्याण
मां भारती से कल्याण
Sandeep Pande
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इस नदी की जवानी गिरवी है
इस नदी की जवानी गिरवी है
Sandeep Thakur
ग़ज़ल __ दुआ देने से दुनिया में, दुआएं कम नहीं होती।
ग़ज़ल __ दुआ देने से दुनिया में, दुआएं कम नहीं होती।
Neelofar Khan
धर्म के नाम पे लोग यहां
धर्म के नाम पे लोग यहां
Mahesh Tiwari 'Ayan'
👍
👍
*प्रणय*
मोहब्बत का अंजाम कभी खुशी कभी गम।
मोहब्बत का अंजाम कभी खुशी कभी गम।
Rj Anand Prajapati
Remembering that winter Night
Remembering that winter Night
Bidyadhar Mantry
कहानी-
कहानी- "हाजरा का बुर्क़ा ढीला है"
Dr Tabassum Jahan
"गौरतलब"
Dr. Kishan tandon kranti
सावन में संदेश
सावन में संदेश
Er.Navaneet R Shandily
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
छिप-छिप अश्रु बहाने वालों, मोती व्यर्थ बहाने वालों
पूर्वार्थ
आसान नहीं होता घर से होस्टल जाना
आसान नहीं होता घर से होस्टल जाना
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
*अर्चन स्वीकार करो हे शिव, बारिश का जल मैं लाया हूॅं (राधेश्
*अर्चन स्वीकार करो हे शिव, बारिश का जल मैं लाया हूॅं (राधेश्
Ravi Prakash
4626.*पूर्णिका*
4626.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आप विषय पर खूब मंथन करें...
आप विषय पर खूब मंथन करें...
Ajit Kumar "Karn"
उलझी हुई जुल्फों में ही कितने उलझ गए।
उलझी हुई जुल्फों में ही कितने उलझ गए।
सत्य कुमार प्रेमी
इक रोज़ मैं सोया था,
इक रोज़ मैं सोया था,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
करोगे रूह से जो काम दिल रुस्तम बना दोगे
करोगे रूह से जो काम दिल रुस्तम बना दोगे
आर.एस. 'प्रीतम'
यार
यार
अखिलेश 'अखिल'
तुमको खोकर
तुमको खोकर
Dr fauzia Naseem shad
20
20
Ashwini sharma
बसंत
बसंत
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
..........?
..........?
शेखर सिंह
तुम्हारे फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
तुम्हारे फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
कभी-कभी एक छोटी कोशिश भी
कभी-कभी एक छोटी कोशिश भी
Anil Mishra Prahari
“बधाई हो बधाई सालगिरह”
“बधाई हो बधाई सालगिरह”
DrLakshman Jha Parimal
Loading...