Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Aug 2024 · 1 min read

अंत बुराई का होता है

अंत बुराई का होता है
अच्छाई का नहीं
क्योंकि वास्तविक सुख अच्छाई में है
बुराई में नहीं
_ सौम्या

97 Views
Books from Sonam Puneet Dubey
View all

You may also like these posts

गीत
गीत
Rambali Mishra
गगन में लहराये तिरंगा
गगन में लहराये तिरंगा
नूरफातिमा खातून नूरी
यूं तमाम शब तेरी ज़वानी की मदहोशी में गुजार दी,
यूं तमाम शब तेरी ज़वानी की मदहोशी में गुजार दी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
#जिन्दगी ने मुझको जीना सिखा दिया#
#जिन्दगी ने मुझको जीना सिखा दिया#
rubichetanshukla 781
#justareminderdrarunkumarshastri
#justareminderdrarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
प्यार भरी शहनाईयां
प्यार भरी शहनाईयां
इंजी. संजय श्रीवास्तव
राम राज्य
राम राज्य
Shriyansh Gupta
लघुकथा- धर्म बचा लिया।
लघुकथा- धर्म बचा लिया।
Dr Tabassum Jahan
मुझे क्रिकेट के खेल में कोई दिलचस्पी नही है
मुझे क्रिकेट के खेल में कोई दिलचस्पी नही है
ruby kumari
भूले से हमने उनसे
भूले से हमने उनसे
Sunil Suman
2 जून की रोटी की खातिर जवानी भर मेहनत करता इंसान फिर बुढ़ापे
2 जून की रोटी की खातिर जवानी भर मेहनत करता इंसान फिर बुढ़ापे
Harminder Kaur
कर्म पथ पर
कर्म पथ पर
surenderpal vaidya
घृणा के बारे में / मुसाफ़िर बैठा
घृणा के बारे में / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
- भाईयो के हाथो में कुछ भी नही भाभीया है सरताज -
- भाईयो के हाथो में कुछ भी नही भाभीया है सरताज -
bharat gehlot
बंध
बंध
Abhishek Soni
क्या जलाएगी मुझे यह, राख झरती ठाँव मधुरे !
क्या जलाएगी मुझे यह, राख झरती ठाँव मधुरे !
Ashok deep
बेफिक्री
बेफिक्री
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
राजनीति
राजनीति
मनोज कर्ण
"संवाद "
DrLakshman Jha Parimal
"दूध में दरार"
राकेश चौरसिया
"मोहब्बत"
Dr. Kishan tandon kranti
अनेकता में एकता
अनेकता में एकता
Sunil Maheshwari
सदियों से कही-सुनी जा रही बातों को यथावत परोसने और पसंद करने
सदियों से कही-सुनी जा रही बातों को यथावत परोसने और पसंद करने
*प्रणय*
2488.पूर्णिका
2488.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
तुझसे लिपटी बेड़ियां
तुझसे लिपटी बेड़ियां
Sonam Puneet Dubey
*मर्यादा पुरूषोत्तम राम*
*मर्यादा पुरूषोत्तम राम*
Shashi kala vyas
अकेले चलने की तमन्ना मन में होना चाहिए,
अकेले चलने की तमन्ना मन में होना चाहिए,
पूर्वार्थ
जो मिल ही नही सकता उसकी हम चाहत क्यों करें।
जो मिल ही नही सकता उसकी हम चाहत क्यों करें।
Rj Anand Prajapati
बुढ़ापा
बुढ़ापा
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
उजले दिन के बाद काली रात आती है
उजले दिन के बाद काली रात आती है
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
Loading...