जीवनी स्थूल है/सूखा फूल है
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
राम के जैसा पावन हो, वो नाम एक भी नहीं सुना।
हम अकेले अनमने से हो गये.....!!
अगर कोई लक्ष्य पाना चाहते हो तो
प्राण प्रतिष्ठा और दुष्ट आत्माएं
मातृ भाव और मैत्री भाव जिसके भी मन में वास करता है , वह किसी
चुनौती मानकर मैंने गले जिसको लगाया है।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
बड़ा ही सुकूँ देगा तुम्हें
अर्धांगिनी सु-धर्मपत्नी ।
"सुविधाओं के अभाव में रह जाते हैं ll