अंतिम यात्रा
पति के मौत के तीन दिन बाद ही पत्नी की भी मौत हो जाती है । उसकी मौत मानो एक संदेश है ।
उड चुका था वह पंक्षी,
जो वर्षो से था साथ रहा,
तब जाकर मै उडी डाली से,
वर्षो से थी जुडी जहाँ ।
जीवन के हर वक्त गुजर गये,
हर नातो से नाता टूट गये,
नया जगत का वासी बन कर,
नव जीवन से जुडी यहाँ ।
हर जीवन की बात यही है,
मिलन विरह की बात सही है,
छोड़ चुकी जब निज जन आँगन,
अब पूनर्मिलन की बात कहाँ ।
अवलम्बन अब राम नाम का,
सहज भाव से जीवन जीना,
हो खुशियाँ भरपूर जीवन मे,
आशिष मेरा है सदा यहाँ ।