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6 Jan 2022 · 1 min read

अंतस में जहर

जुबान शहद अंतस में जहर
दोमुहा आदमी कठिन डगर
जा रहा कहाँ थोड़ी देर ठहर
क्यों करता है तूँ अगर मगर
व्यवधान तो जीवन में ऐसे आएंगे जाएंगे
जो लड़ न पाए इनसे वो हरदम पछताएंगें

दिन डूब गया हो रात चली
अंतस में बातों की थी खलबली
चार दिन की ही तो जिंदगानी है
फिर सबकी होगी चला चली
फिर भी आग लगाने से वे बाज न आएंगे
व्यवधान तो जीवन में ऐसे आएंगे जाएंगे

अच्छे लोग तो अब अपवाद रहे
बस यही लोग निर्विवाद रहे
अपने जैसा बनाने के खातिर
कुछ लोग इनको भी साध रहे
उनको लगता है ये भी मेरे जैसे हो जाएंगे
व्यवधान तो जीवन में ऐसे आएंगे जाएंगे
-सिद्धार्थ गोरखपुरी
गोरखपुर उ. प्र.

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 4 Comments · 185 Views
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