अंतर या अति
” अरे ! तुम रेस्टोरेंट में चलने से मना कर रही हो ? यहां आसानी से सीट नही मिलती , नरेन ने अपनी मंगेतर स्मिता से कहा । ”
अभी हफ्ते भर पहले ही तो दोनों का विवाह दोनों के परिवार द्वारा तय हुआ था , नरेन अपने घर का पहला लड़का जो देश के बाहर नौकरी कर रहा था और स्मिता जिसके दादा रिटायर होम सेक्रेटरी और पिता इंडियन फॉरेन सर्विस में खुद स्मिता ‘ आई ए एस ‘ ।
बचपन पूरा विदेश में बीता पूरी दुनिया घुम चुकी थी ।
” नही मैं बाहर खाना बहुत पसंद नही करती स्मिता ने हॅंसते हुए कहा । ”
” मुझे तो बहुत पसंद है बचपन में तो हम कभी बाहर खाने जाते ही नही थे । ”
” और हम कभी घर में नही खाते थे अगर घर में खाया तो ज्यादातर बाहर से आर्डर कर लेते थे….रेस्टोरेंट का खाना खा – खा कर अजिज आ गई हूॅं मैं । ” स्मिता के स्वर में उदासी थी ।
” देखो तो कितना बड़ा अंतर है हम दोनों में नरेन स्मिता से बोला । ”
” मेरे ख्याल से अंतर नही अति है मेरी बाहर खाने की और तुम्हारी घर में खाने की । ”
स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 23/12/2021 )