अंतर्राष्ट्रीय नृत्य दिवस
सुर ताल का भावभंगिमा से होता मिलन
जब हो जाता नृत्य का जन्म
नृत्य खुदा का होता अनूठा वरद
हर किसी को होता नहीं इसका हक
हाथों पैरों और भंगिमा संग सुंदर कविता
सजाती है सुयोग्य नृत्यांगना
नृत्य होती खुदा की पवित्र वंदना
खुशी होती जब प्रदर्शित होती कला
झलकती आंखों से,दिखाती हाथों से
थिरकती पैरों से,समझाती भावों से
नृत्य केवल नाच नहीं,हुनर का साच है।
_सीमा गुप्ता, अलवर