*अंतर्मन में राम जी, रहिए सदा विराज (कुंडलिया)*
अंतर्मन में राम जी, रहिए सदा विराज (कुंडलिया)
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अंतर्मन में राम जी, रहिए सदा विराज
बन जाऍंगे आपके, रहने से सब काज
रहने से सब काज, मुक्ति के क्षण आऍंगे
लोभ-मोह के भाव, न भीतर आ पाऍंगे
कहते रवि कविराय, राम-प्रभु असली हैं धन
हरते सभी विकार, शुद्ध करते अंतर्मन
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451