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30 May 2024 · 1 min read

अंतर्द्वंध

अंतर्द्वंद्व”
छुपा नहीं सकता, मैं अपना अंधेरा

कोई मेरी “अच्छाई” देखें,
तुरंत उसे मैं अपनी बुराई से भी अवगत करा देता हूं..
मैं अच्छा हूं, पर अपने बुराई के साथ..

जैसे चाँदनी में भी, काले दाग़ छुपे होते हैं,
वैसे ही मेरे दिल में भी, अनेक शक़ हिलते हैं..

मैं हँसता हूं, जब भी मिलता हूं किसी से,
पर अंदर ही अंदर, उदासी से घिरा होता हूं मैं..

मैं मदद करता हूं, जरूरतमंदों की,
पर कभी-कभी, खुदगर्ज़ भी हो जाता हूं मैं..

मैं सच बोलता हूं, हर मुश्किल में,
पर झूठ भी बोल लेता हूं, अपनी रक्षा में..

मैं प्रेम करता हूं, बेपनाह किसी से,
पर गुस्सा भी आ जाता है, थोड़ी बातों पर ही..

मैं अच्छा हूं, पर अपने बुराई के साथ,
यह अंतर्द्वंद्व, है मेरी ही पहचान..

Language: Hindi
57 Views

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