“अंतरात्मा की पुकार”
मन के भीतर एक अजीब सी हलचल,
लगता है जैसे आया हो झटका प्रलयका….!
हिल उठती है धरा जैसे, वैसे काँपा बदन पुरा….!!
हर एक अंग ध्रुजा, अजीबो सी हुए हलचल…!
जैसे होता है परिवर्तन प्रकृतिमें,
वैसे बदलाव आया शरीर के अंदर…!!
बदलाव की स्थिति को समझना आसान नहीं,
पर दिखता है ऐ वर्तनमें वाणीमें…!
और महसूस किया जाता है नयन के द्वारा…!!
अंगो में जो होता है दर्द उसकी वेदना,
जानता है सिर्फ़ हमारा अंतरात्मा…..!!!