अंतरात्मा की आवाज
जब बज रहे हो रात के बारह ,
और शान्ति हो चारों ओर
तो सुनना –
बोलती है घड़ी ,
बहुत तेज।
क्या दिन में नहीं बोलती ?
अजी ! बोलती है –
लेकिन दिन भर की बाहर की आवाजें
नहीं सुनने देतीं उसे हमें ।
उसी तरह हमारी अंतरात्मा भी –
बोलती है बहुत कुछ ,
जो हमारे लिए उपयोगी है ।
लेकिन हमारे अन्दर मौजूद विकार –
काम , क्रोध , मोह , लोभ आदि ।
नहीं सुनने देते हमें –
अंतरात्मा की आवाज ।।