अंतरराष्ट्रीय श्रम दिवस
खुद के सर पर छत नहीं,
पर हमारे लिए बड़ी इमारत बनाते हैं,
दो वक़्त का खाना भी जिसको चैन से नसीब नहीं,
पर आधे घंटे में पिज़्ज़ा घर में पहुंचाते हैं,
कड़ी धूप का सामना कर हमारे आराम का ध्यान रखते हैं,
इनके पैरो के छाले और देखकर चेहरे पर मज़बूरी की सिकन,
पूछता इनसे इनकी कोई जात और धर्म,
तो धर्म श्रम और जाति श्रमिक के रूप में पहचान बताते हैं