अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
संस्कृत में एक श्लोक है उसी से अपनी आज के विषय पर बात प्रारम्भ कर रही हूँ:-
‘यस्य पूज्यंते नार्यस्तु तत्र रमन्ते देवता:’।
यानि कि जहाँ नारी की पूजा होती हैं, वहाँ देवता निवास करते हैं।भारतीय संस्कृति में महिलाओं के सम्मान को बहुत महत्व दिया गया है। भारत में महिला को देवी के समान माना जाता है। आज महिलाओं के प्रति लोगों की सोच में थोड़ा सा बदलाव आया हैं। लोग अपने घर की बेटियों और बहुओं की शिक्षा के लिए आगे बढ़ा रहे हैं। नारी केवल एक घर की नहीं बल्कि देश की शान होती है। पहले की तुलना में महिलाएं आज ज्यादा सक्षम है। अब महिलाएं अपने अधिकारों का सही इस्तेमाल करना जानती है। आज हर क्षेत्र में महिलाओं की उपलब्धियां गिनाई जा सकती है। उनकी इन्हीं उपलब्धियों को और अबला से सबला बनने की सशक्त भावना को आज बल मिल रहा है।
“यादों में ही सही हिम्मत बनी रहती हैं।
माँ के बिन घर में खुशहाली कहाँ रहती हैं”।।
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस हर वर्ष 8 मार्च को मनाया जाता है। हालांकि 1975 से पूर्व इसे 28 फरवरी 1909 में पहली बार मनाया गया था, परंतु 1975 में संयुक्त राष्ट्र अमेरिका द्वारा इसे हर वर्ष 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय रुप से मनाये जाने का निर्णय लिया गया।कई सदियों से महिलाएं आपने अधिकारों के लिए लड़ती आई हैं और आज भी लड़ ही रही हैं। हमारे पुरुष प्रधान समाज में, सदैव महिलाओं को अनदेखा किया गया ।महिलाओं के महत्व को समझते हुए उनके उत्थान के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए, और नतीजन आज वे विकसित देशों की सूची में अव्वल स्थान पर बैठे हैं। और हम उनकी नकल करते हुए महिला दिवस तो मनाते हैं परंतु असल मायनों में अभी बहुत पीछे हैं।
भारत अपनी परंपराओं के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध रहा है, और अगर हम अपनी ही परंपराओं को सही मायनों में अपना लें, तो हमें कभी इस दिवस को मनाने कि जरूरत ही नहीं पड़ेगी।
“माँ मेरी आदिशक्ति समान है,
माँ ही तो मेरी अनंत शक्ति समान है।
माँ अमर है, माँ ही मेरी पवित्र ग्रंथ है
माँ ही तो मेरी सब कुछ हैं सर्वशक्तिमान हैं”।।
भारत में नारी को देवी का स्वरूप माना जाता है, तो वहीं दूसरी तरफ आए दिन कोई नवजात लड़की सड़क के किनारे या कूड़ेदान में मृत मिलती है। हालांकि एक खास दिन को मना लेने मात्र से महिलाओं का विकास नहीं हो जाएगा। यह दिवस आपको हर वर्ष यह सोचने पर मजबूर करता है कि, आप महिलाओं के प्रति अपनी सोच बदलें और हर वर्ष इस दिन खुद को आंके कि आखिर महिलाओं के लिए पूरे वर्ष आपने क्या किया।
महिलाओं के लिए कुछ करने का अर्थ यह नहीं कि कुछ अलग और खास करें। आप अपने आस-पास कि महिलाओं से ठीक से पेश आएं, उन्हें सम्मान दें, उनके विचारों को भी समान ही महत्व दें। वह महिला आपकी माता, बहन, पत्नी, सहकर्मी कोई भी हो सकती है। हमारे देश कि तरह विश्व के कई देशों में महिलाओं कि स्थिति अच्छी नहीं है और उन्हें बराबरी का अधिकार दिलाने के लिए, सब को अपना योगदान देना होगा और यह तभी मुमकिन है जब हम स्वयं उसका सीधा उदाहरण बनें।
आज के दौर में महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं, तो उनके साथ यह भेद-भाव क्यों। आइये हम सब मिलकर इस महिला दिवस पर संकल्प लेते हैं कि आज से हम सब, महिलाओं का सम्मान करेंगे और उनके प्रगति में कभी बाधा नहीं बनेंगे। अगर दुनिया का हर व्यक्ति यह विचार कर ले तो, महिलाओं को कभी अपने अधिकारों से वंचित नहीं रहना पड़ेगा। इसी के साथ मैं आप सभी को महिला दिवस के उपलक्ष में ढेर सारी बधाइयां देती हूं और आशा करती हूँ कि आप सब भी किसी दिवस विशेष पर ही नही बल्कि प्रतिदिन महिलाओं का सम्मान करेंगे।अंत में ये पंक्तियां मातृशक्ति को समर्पित:-
“माँ स्मरण हो आयी आज पुनः वह स्नेहमयी गोद।
बरगद की साया के समान मातृशक्ति का साया”।।
धन्यवाद
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद