अंजान बनते हैं वो यूँ जानबूझकर
अंजान बनते हैं वो यूँ जानबूझकर
जैसे उनको कुछ पता ही नहीं
दिल जलाते हैं वो हाल पूछ-पूछ कर
जैसे उनकी कोई खता ही नहीं
अंजान बनते हैं वो यूँ जानबूझकर
जैसे उनको कुछ पता ही नहीं
दिल जलाते हैं वो हाल पूछ-पूछ कर
जैसे उनकी कोई खता ही नहीं