अंजाना सा साथ (लघु रचना ) ….
अंजाना सा साथ (लघु रचना ) ….
मैं
आस था
विश्वास था
अनुभूति का
आभास था
पथ पथरीला प्रीत का
लम्बा और उदास था
जाने किसका हाथ था
अंजाना सा साथ था
गोधूलि की बेला में
अंतिम जीवन खेला में
धूल में लिपटी बहारों में
धूमिल व्योम सितारों में
अंतिम पगरा चापों में
रिसती हुई कुछ खापों में
जीत गर्भ की हारों में
आहटों की दरारों में
ज़िंदा एक विश्वास था
अटका उस विश्वास में
मेरा अंतिम
श्वास था
सुशील सरना